रणघोष विशेष में:कांग्रेस कदम कदम पर बाबा साहेब की आत्मा पर कुठाराघात करती रही

बाबा साहेब की जीवन यात्रा में छिपा है कांग्रेस का काला इतिहास 


रणघोष खास. सुदेश कटारिया.

सुदेश कटारिया
चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर. हरियाणा सरकार

लेखक:  चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर. हरियाणा सरकार

 पिछले कुछ दिनों से संविधान बचाने का पांखड फैलाकर दलित समाज को गुमराह करने का दुस्साहस करती आ रही कांग्रेस की असलियत को अब घर घर तक पहुंचाने का समय आ चुका है। देश की आजादी से पहले और उसके बाद स्वतंत्र भारत के इतिहास को उठाकर देख लिजिए। यह वही कांग्रेस है जिसने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की आत्मा पर हमेशा कुठाराघात किया है। हमारी चुनौती है कांग्रेस एक काम बता दे जो उसने बाबा साहेब के लिए किया हो। कैसे जीवित रहते हुए कांग्रेस ने उनका अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके रास्ते में वो सभी रोड़े डाले जिससे बाबा साहेब का संसद पहुंचने का रास्ता रुक जाए। तब कोई और नहीं, बल्कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी आंबेडकर के पीछे मजबूती के साथ खड़े हुए थे। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हमेशा आंबेडकर के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे। 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा देने के बाद बाबा साहेब ने 1952 में लोकसभा का आम चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने सिर्फ उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा, बल्कि खुद नेहरू उनके खिलाफ प्रचार के लिए पहुंच गए थे। कांग्रेस ने बाबा साहेब को चुनाव में हराने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी। इस कारण बाबा साहेब को हार का अपमान सहना पड़ा था। इसके बाद बाबा साहेब ने 1954 में भंडारा सीट से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा। लेकिन, दोबारा कांग्रेस ने उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारा। फिर बाबा साहेब को लोकसभा पहुंचने से रोक दिया गया। इस लगातार अपमान के समय अगर उनका साथ किसी ने दिया था तो वह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। उनके प्रयासों से बाबा साहेब राज्यसभा में पहुंचे थे। डॉ श्याम प्रसाद वही थे जिन्होंने जन संघ को जन्म दिया जो भारतीय जनता पार्टी के रूप में काम कर रही है। दरअसल, 1952 में जब लोकसभा का पहला चुनाव हुआ था तब नेहरू लहर थी। नेहरू जनमानस पर छाए हुए थे। जो कोई भी उस समय कांग्रेस से चुनाव लड़ा, जीत गया। डॉ. भीमराव आंबेडकर भी इस चुनाव में खड़े हुए थे। आजादी के संघर्ष में आंबेडकर सबसे प्रमुख शख्सियतों में से थे। वह महात्मा गांधी से 22 साल छोटे थे। हम लगातार कांग्रेस से पूछ रहे है की वह एक काम बता दे जो उसने बाबा साहेब के लिए किया हो। कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है। जवाब के नाम पर वो सिर्फ झूठ बोलना जानते हैं। अब कांग्रेसियों को भोले भाले दलित समाज को गुमराह करने के लिए संविधान बचाओ का पांखडवाद छल कपट फैलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है लेकिन वे अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाएंगे।

 कांग्रेस ने दशकों तक बाबा साहेब को भारत रत्न देने से इंकार किया

कांग्रेस पार्टी ने दशकों तक बाबा साहब अंबेडकर को भारत रत्न देने से इनकार किया। देश की आजादी के बाद जब तक वह सत्ता में रही ।कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि बाबासाहेब की तस्वीर पुरानी संसद, सेंट्रल हॉल में लगे। कांग्रेस की वजह से ही बाबासाहेब को दशकों तक भारत रत्न नहीं दिया गया।केंद्र में भाजपा समर्थित वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार बनने के बाद ही यह संभव हो सका। जब बाबा साहेब अंबेडकर को मरणोपरांत 31 मार्च 1990 में भारत रत्न से सम्मानित करके देश और समाज के प्रति उनके अमूल्य योगदान को नमन किया गया।

 बाबा साहेब की जीवन यात्रा में छिपा है कांग्रेस का काला इतिहास 

 14 अप्रैल 1891 को जन्में बाबा साहेब दलित परिवार में जन्मे थे। देश में उनके जैसा पढ़ालिखा उस समय शायद ही कोई था। इकोनॉमिक्स से दोदो डॉक्टरेट की डिग्रियां थीं उनके पास। एक अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से। दूसरी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से। आंबेडकर की योग्यता को देखते हुए उन्हें ड्राफ्टिंग कमिटी का चेयरमैन बनाया गया था। नेहरू ने आंबेडकर के पीए को चुनाव में खड़ा किया था पहले लोकसभा चुनाव में आंबेडकर का रास्ता  रोकने के लिए नेहरू ने उनके पर्सनल असिस्टेंट नारायण काजरोलकर को मैदान में खड़ा किया था। उनकी हार सुनिश्चित करने के लिए खुद नेहरू ने कैंपेनिंग भी की थी। आंबेडकर तब शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन पार्टी से चुनाव लड़े थे। यह सीट थी बॉम्बे नॉर्थ सेंट्रल। 1954 में भी नेहरू ने ही दूसरी बार पक्का किया कि वह भंडारा से उपचुनाव में जीत पाएं। राज्यसभा के जरिये आंबेडकर की संसद में एंट्री हुई थी। हमें गर्व है की जब जब हमारी भाजपा की सरकार केंद्र व राज्यों में आती रही। सबसे पहले बाबा साहेब के सम्मान और स्वाभिमान को सबसे आगे रखा। बाबा साहेब के नाम पर अनेक योजनाओं का शुरू किया हुआ है। जिसका जिक्र इस लेख में करना संभव नही होगा। 13 अप्रैल  2018 के दिन का जरूर जिक्र करना चाहेगे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने  26 अलीपुर रोड जहां डॉ आंबेडकर नेशनल मेमोरियल का शुभारंभ किया था, यही पर बाबा साहेब ने 6 दिसंबर 1956 को अंतिम सांस ली थी। इसलिए कांग्रेसी संविधान बचाने का पांखड फैलाने की बजाय दलित समाज के सामने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगे की उन्होंने बाबा साहेब का हमेशा अपमान करने के अलावा कुछ नहीं किया।