‘कुत्तों की नाक से बहता खून, हांफती बिल्लियां’

 दिल्ली में गर्मी और प्यास से मर रहे हैं जानवर


 रणघोष खास. मोनामी गोगोई की रिपोर्ट, दी प्रिंट साभार के साथ 

दिल्ली: सुबह सात बजे, गैर-लाभकारी संगठन यमुना खिमत्संग के सदस्य और स्वयंसेवक नई दिल्ली के न्यू अरुणा नगर में 120 स्ट्रीट डॉग्स के लिए चावल और दही के सूप से भरे स्टील के ट्रे भरने के लिए दौड़ पड़े. रसोई और सड़कों पर लोगों में एक भावना है कि दिल्ली की चिलचिलाती धूप शुरू होने से पहले सभी कुत्तों को खाना खिलाना है. सुबह 9 बजे तक, हर कोई अपने घरों और झुग्गियों में चले जाते हैं, और कुत्ते जहाँ कहीं भी थोड़ी छाया मिल जाती है, वहाँ चले जाते हैं. शुक्रवार को हुई बारिश ने लोगों और जानवरों को इस गर्मी में अत्यधिक और लंबे समय तक चलने वाली गर्मी से राहत दी. लेकिन रिकॉर्ड तोड़ भीषण गर्मी ने इंसानों और जानवरों को गर्मी के कारण तनाव, थकावट और यहाँ तक कि स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया है.इस साल आवारा कुत्तों में हीटस्ट्रोक के मामलों में वृद्धि से पशुओं का ध्यान रखने वाले स्तब्ध हैं. ये वे जीव हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे काफी गर्मी बर्दाश्त कर सकते हैं.दिल्ली में लगभग 700 आवारा कुत्तों को खाना खिलाने वाले एनजीओ, ओजस्विनी के शुभांकर सिंह ने कहा, “हमने पांच साल पहले काम करना शुरू किया था और यह पहली बार है जब हम हीटस्ट्रोक के इतने सारे मामले देख रहे हैं. पिछले 25 दिनों में, हमारे द्वारा खिलाए जाने वाले कुत्तों में से पांच गर्मी के कारण मर गए हैं.”अत्यधिक तापमान के कारण कुछ पशु समूहों ने नसबंदी और टीकाकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर भी रोक लगा दी है.

बढ़ती गर्मी, व्यवहार में बदलाव

उत्तरी दिल्ली में यमुना के बाढ़ के मैदानों के किनारे, मजनू का टीला में, एनजीओ यमुना खिमत्संग ने क्षेत्र के आवारा कुत्तों के लिए 150 बड़े कंक्रीट के पानी के कटोरे बनाए हैं.यमुना खिमत्संग के सह-संस्थापक कुंगसांग त्सफेल ने कहा, “गर्मियों के दौरान कुत्ते अधिक सुस्त हो जाते हैं. अगर बहुत गर्मी हो जाए, तो वे खाने के लिए बाहर नहीं निकलेंगे. लेकिन भोजन से ज़्यादा हमें यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत है कि उन्हें पीने के लिए पानी मिले. यह सुनिश्चित करना भी हमेशा आसान नहीं होता है.”

लेकिन सुस्ती ही कुत्तों के व्यवहार में होने वाला एक मात्र परिवर्तन नहीं है जिसे इनकी देखभाल करने वाले समूहों ने देखा है. बढ़ते तापमान के साथ, अच्छे स्वभाव वाले कुत्ते भी चिड़चिड़े हो गए हैं. अच्छे स्वभाव वाले कुत्ते भी खेलना या कूदना पसंद नहीं करते.तिमारपुर में एक कल्याणकारी संगठन नेबरहुड वूफ़ की स्थापना करीब 10 साल पहले हुई थी, वह इस वक्त चार कुत्तों के हीटस्ट्रोक की समस्या से जूझ रहा है. इस महीने की शुरुआत में, उन्हें एक कुत्ता मिला जिसकी नाक से खून बह रहा था, उसे अविश्वसनीय रूप से तेज़ बुखार था और वह हांफ रहा था.संगठन चलाने वाली आयशा क्रिस्टीना बेन ने कहा, “हम उसे लेकर आए, और छांव, भोजन और सुरक्षा मुहैया कराई. वह बच गया,” चार मामलों में से दो दिल्ली विश्वविद्यालय से थे.बेन ने इस स्थिति के लिए परिसर के कंक्रीटीकरण को जिम्मेदार ठहराया, जिससे तापमान बढ़ जाता है और छांव कम रह जाती है. उन्होंने हीटस्ट्रोक के साथ-साथ टिक फीवर में भी वृद्धि देखी है.उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वे खुद को ठंडा रखने के लिए कीचड़ में जाकर बैठते हैं. और इससे उन्हें कीड़े लग जाते हैं.”दिल्ली की सड़कों और जेजे क्लस्टर्स में, मनुष्य और जानवर अक्सर एक ही संसाधन के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं. त्सेफेल के अनुसार, उनका काम झुग्गी निवासियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना है कि पानी के कटोरे चोरी न हों और नियमित रूप से फिर से भरे जाएं.